जैसा कि बाल विवाह नाम से ही पता चल रहा होगा की उन नाबालिग बच्चो मध्य विवाह जिसमे लड़के की उम्र 21 वर्ष से कम और लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम की है। यह वह उम्र होती है जिसमे बच्चो का मानसिक विकास उतना नहीं विकसित होता कि वह विवाह के बारे जान सके और विवाह के लिए अपनी इच्छा से सहमति दे सके। लड़के और लड़की दोनों के परिवार की आपसी सहमति से यह बाल विवाह होता है जिसमे बच्चो की सहमति मायने नहीं रखती। नाबालिग उम्र बच्चो के खेलने और पढ़ने की उम्र होती है न की विवाह के बंधन में बंधने की होती है।
जिस लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है, उसके स्कूल से निकल जाने की संभावना बढ़ जाती है तथा उसके कमाने और समुदाय में योगदान देने की क्षमता कम हो जाती है। उसे घरेलू हिंसा तथा एचआईवी / एड्स का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है। खुद नाबालिग होते हुए भीउसकी बच्चे पैदा करने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान गंभीर समस्याओं के कारण अक्सर नाबालिग लड़कियों की मृत्यु भी हो जाती हैं। अनुमानित तौर पर भारत में प्रत्येक वर्ष, 18 साल से कम उम्र में करीब 15 लाख लड़कियों की शादी होती है जिसके कारण भारत में दुनिया की सबसे अधिक बाल वधुओं की संख्या है, जो विश्व की कुल संख्या का तीसरा भाग है। 15 से 19 साल की उम्र की लगभग 16 प्रतिशत लड़कियां शादीशुदा हैं।